Summary of “In the Kingdom of Fools”
Summary of “In the Kingdom of Fools” – Class 9 English Moments, Chapter 4, tells the story of a strange kingdom with unusual rules. In this kingdom, the day is treated as night and night as day. Everything costs only 1 rupee, no matter what it is. The chapter highlights the absurdity of such a system and the consequences that follow.
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Summary of “In the Kingdom of Fools”
This summary is designed to help students understand the chapter better and support their exam preparation, following the latest CBSE English Class 9 syllabus. You can refer to additional notes to improve your understanding and excel in your studies.
Summary of “In the Kingdom of Fools” by A.K. Ramanujan
The story “In the Kingdom of Fools” revolves around a strange kingdom ruled by a foolish king and his equally foolish minister. They decide to change the natural order by reversing the day and night. Their absurd law requires everyone in the kingdom to work during the night and sleep during the day. The king also decrees that everything in the market should cost just one duddu, a small coin. In this upside-down kingdom, the foolishness of the rulers leads to unforeseen events that end in their downfall.
कहानी “In the Kingdom of Fools” एक अजीब राज्य के बारे में है जिसे एक मूर्ख राजा और उसके उतने ही मूर्ख मंत्री द्वारा शासित किया जाता है। वे प्राकृतिक क्रम को उलटने का निर्णय लेते हैं और रात को दिन तथा दिन को रात बनाने का आदेश देते हैं। उनके अजीब कानून के अनुसार राज्य के सभी लोग रात में काम करेंगे और दिन में सोएंगे। राजा यह भी फरमान जारी करता है कि बाजार में सभी चीजों की कीमत एक ही होगी, केवल एक दुड्डू (छोटा सिक्का)। इस उलटे-पुलटे राज्य में शासकों की मूर्खता अप्रत्याशित घटनाओं की ओर ले जाती है, जो अंततः उनके पतन का कारण बनती हैं।
In this kingdom, the people follow the absurd rules out of fear. One day, a wise guru and his disciple arrive in the city. They are surprised to find the entire city asleep during the day. They also discover that everything in the market costs only one duddu. The disciple is tempted by the cheap food and decides to stay, despite the guru’s warning that the kingdom of fools is dangerous. The guru leaves, but the disciple remains, indulging in the abundance of cheap food and growing fat.
इस राज्य में लोग राजा के बेतुके नियमों का पालन डर के कारण करते हैं। एक दिन, एक बुद्धिमान गुरु और उसका शिष्य शहर में आते हैं। वे यह देखकर आश्चर्यचकित होते हैं कि पूरा शहर दिन में सो रहा है। वे यह भी पता लगाते हैं कि बाजार में हर चीज़ की कीमत केवल एक दुड्डू है। सस्ता खाना देखकर शिष्य लालच में आ जाता है और वहीं रहने का निर्णय लेता है, जबकि गुरु उसे मूर्खों के राज्य को खतरनाक बताते हुए चेतावनी देता है। गुरु वहां से चला जाता है, लेकिन शिष्य सस्ते खाने का आनंद लेते हुए मोटा हो जाता है।
Summary of “In the Kingdom of Fools” in Hindi
Meanwhile, a series of comical and tragic events unfold. A thief breaks into a merchant’s house at night, but as he is escaping, the wall collapses and kills him. The thief’s brother files a complaint with the king, claiming that the merchant is responsible for the thief’s death because his house’s wall was poorly built. The foolish king, believing in strange justice, orders the merchant to be executed. The merchant pleads that it wasn’t his fault, but the fault of the bricklayer who built the wall.
इस बीच, कई हास्यप्रद और दुखद घटनाएँ घटित होती हैं। एक चोर रात में एक व्यापारी के घर में घुसता है, लेकिन जैसे ही वह भागने की कोशिश करता है, दीवार गिर जाती है और उसकी मृत्यु हो जाती है। चोर का भाई राजा के पास जाकर शिकायत करता है कि व्यापारी की खराब बनी दीवार के कारण उसके भाई की मृत्यु हुई है। मूर्ख राजा, अजीब न्याय प्रणाली पर विश्वास करते हुए, व्यापारी को फांसी की सजा सुनाता है। व्यापारी कहता है कि यह उसकी गलती नहीं है, बल्कि उस राजमिस्त्री की है जिसने दीवार बनाई थी।
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Summary of “In the Kingdom of Fools” by A.K. Ramanujan
The king then summons the bricklayer, who in turn blames a dancing girl for distracting him while he was building the wall years ago. The case grows more complicated as the dancing girl blames the goldsmith for delaying her jewelry order, which caused her to walk up and down the street and distract the bricklayer. The goldsmith, in his defense, says he was forced to delay the order because a rich merchant had placed an urgent order for his daughter’s wedding.
इसके बाद राजा राजमिस्त्री को बुलाता है, जो अपने बचाव में कहता है कि कई साल पहले दीवार बनाते समय एक नाचने वाली लड़की ने उसे विचलित किया था। मामला और जटिल हो जाता है क्योंकि नाचने वाली लड़की कहती है कि उसने एक सुनार को अपने गहनों का ऑर्डर दिया था, लेकिन वह उसे समय पर पूरा नहीं कर सका, जिस कारण वह बार-बार उसी सड़क पर चलती रही और राजमिस्त्री का ध्यान भंग हुआ। सुनार अपनी सफाई में कहता है कि उसे एक धनी व्यापारी के लिए उसकी बेटी की शादी के गहनों का ऑर्डर जल्दी पूरा करना पड़ा, जिस कारण वह देरी कर रहा था।
The rich merchant turns out to be the same man whose wall collapsed on the thief. The king, now believing he has found the true culprit, orders the merchant’s execution. However, when the king realizes that the merchant is too thin to be executed on the stake, he orders his men to find a fatter person to fit the stake. The disciple, who had grown fat, is caught and sentenced to death.
वह धनी व्यापारी वही व्यक्ति निकलता है जिसके घर की दीवार चोर पर गिरी थी। अब राजा को लगता है कि उसने असली दोषी को ढूंढ लिया है, और व्यापारी को फांसी देने का आदेश देता है। हालांकि, जब राजा यह देखता है कि व्यापारी बहुत पतला है और फांसी के लिए उपयुक्त नहीं है, तो वह अपने आदमियों को आदेश देता है कि वे एक मोटा व्यक्ति ढूंढें जो उस पर चढ़ सके। शिष्य, जो अब मोटा हो चुका था, को पकड़ लिया जाता है और उसे मौत की सजा सुना दी जाती है।
Summary of “In the Kingdom of Fools” by A.K. Ramanujan
In his moment of crisis, the disciple recalls his guru and prays for his help. The guru, using his spiritual powers, sees his disciple’s plight and returns to the kingdom. The guru devises a clever plan to save his disciple by confusing the foolish king. He tells the king that whoever dies on the stake first will be reborn as the king, and the second person to die will be reborn as the minister.
संकट के समय, शिष्य अपने गुरु को याद करता है और उनसे मदद की प्रार्थना करता है। गुरु अपनी आध्यात्मिक शक्तियों का उपयोग करते हुए शिष्य की मुश्किल देखता है और राज्य में लौट आता है। गुरु एक चालाक योजना बनाता है ताकि शिष्य को बचाया जा सके और राजा को भ्रमित किया जा सके। वह राजा से कहता है कि जो भी सबसे पहले फांसी पर चढ़ेगा, उसका पुनर्जन्म राजा के रूप में होगा, और दूसरा व्यक्ति मंत्री के रूप में जन्म लेगा।
The foolish king, greedy for power in his next life, decides to take the place of the disciple. The king and his minister disguise themselves and go to the stake in the middle of the night. The next morning, they are executed. The people of the kingdom, confused by the death of their rulers, beg the guru and the disciple to take over as the new king and minister. They agree on the condition that they can change the absurd laws of the kingdom.
मूर्ख राजा, अगले जन्म में सत्ता के लालच में, शिष्य की जगह लेने का निर्णय करता है। राजा और उसका मंत्री रात के अंधेरे में भेष बदलकर फांसी के स्थान पर जाते हैं। अगली सुबह उन्हें फांसी दे दी जाती है। राज्य के लोग, अपने शासकों की मौत से हैरान, गुरु और शिष्य से प्रार्थना करते हैं कि वे नए राजा और मंत्री के रूप में शासन करें। वे इस शर्त पर सहमत होते हैं कि वे राज्य के बेतुके कानूनों को बदल सकेंगे।
Under the new rule of the guru and the disciple, the kingdom returns to a normal way of life. The people are allowed to live by the natural order of day and night, and the foolish customs are abolished.
गुरु और शिष्य के नए शासन के तहत, राज्य फिर से सामान्य जीवन की ओर लौट आता है। लोगों को दिन और रात के प्राकृतिक क्रम के अनुसार जीने की अनुमति दी जाती है, और मूर्खतापूर्ण प्रथाओं को समाप्त कर दिया जाता है।
In the Kingdom of Fools Theme in English and Hindi
The primary theme of “In the Kingdom of Fools” is foolishness and its consequences. The story portrays the absurdity of a society where foolishness is not only rampant but also institutionalized by its rulers. The foolish decisions of the king and the minister lead to chaos and confusion. The story also touches on themes of justice and wisdom as it contrasts the behavior of the foolish king with that of the wise guru, highlighting the importance of wisdom and rational thinking in leadership and decision-making.
Another theme explored in the story is greed. The king’s greed for power in his next life leads him to his own downfall. This reflects the moral that greed blinds people to reality and often leads to disastrous consequences.
“In the Kingdom of Fools” की मुख्य थीम है मूर्खता और उसके परिणाम। कहानी एक ऐसे समाज की मूर्खता को दर्शाती है जहाँ मूर्खता केवल मौजूद नहीं है, बल्कि शासकों द्वारा इसे संस्थागत रूप दिया गया है। राजा और मंत्री के मूर्खतापूर्ण निर्णय अराजकता और भ्रम की स्थिति पैदा करते हैं। यह कहानी न्याय और बुद्धिमत्ता की थीम को भी छूती है, क्योंकि यह मूर्ख राजा और बुद्धिमान गुरु के व्यवहार के बीच अंतर दिखाती है, जो नेतृत्व और निर्णय लेने में बुद्धिमत्ता और तार्किक सोच के महत्व को रेखांकित करता है।
कहानी में लालच का विषय भी उभर कर आता है। अगले जन्म में सत्ता पाने की लालच राजा को उसके पतन की ओर ले जाती है। यह इस नैतिकता को दर्शाता है कि लालच लोगों को वास्तविकता से अंधा कर देता है और अक्सर विनाशकारी परिणाम लाता है।
In the Kingdom of Fools Central Idea
The central idea of the story is that foolishness in leadership leads to chaos and destruction, while wisdom and rationality are essential for the proper functioning of society. The story shows how absurd laws and irrational decisions can endanger lives and create disorder. However, the intervention of a wise and thoughtful individual can restore balance and justice. Through the humorous yet cautionary tale, the author conveys that blind obedience to foolish rulers can be dangerous, and it’s essential to question and think critically about the actions of those in power.
कहानी का केंद्रीय विचार यह है कि नेतृत्व में मूर्खता अराजकता और विनाश की ओर ले जाती है, जबकि समाज के उचित संचालन के लिए बुद्धिमत्ता और तर्कशीलता आवश्यक हैं। कहानी दिखाती है कि बेतुके कानून और तर्कहीन निर्णय जीवन को खतरे में डाल सकते हैं और अव्यवस्था पैदा कर सकते हैं। हालांकि, एक बुद्धिमान और विचारशील व्यक्ति का हस्तक्षेप संतुलन और न्याय को बहाल कर सकता है। इस हास्यपूर्ण और चेतावनीपूर्ण कथा के माध्यम से लेखक यह संदेश देता है कि मूर्ख शासकों की अंधी आज्ञाकारिता खतरनाक हो सकती है, और सत्ता में बैठे लोगों के कार्यों पर सवाल उठाना और उनके बारे में आलोचनात्मक रूप से सोचना आवश्यक है।
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